जिंदगी चलती जा रही थी। विक्रम हैदराबाद जैसे शहर में अपने कंपैटिबिलिटी की जॉब ढूंढ रहा था। उसने कहीं जगह लॉजिस्टिक की तौर पर या फिर एक्सेल एग्जीक्यूटिव के तौर पर इंटरव्यू देने चाहे पर उसका सिलेक्शन नहीं हुआ।थक हारकर उसने यह भी सोचा कि वह कोई साधारण सी जॉब कर ले पर नो वैकेंसी का सामना करना पड़ा।तो कहीं जगह अमेरिका छोड़ आने पर ताने भी कसे गए। विक्रम अपनी जिंदगी से परेशान हो चुका था, बैंक बिजनेस के लिए लोन नहीं दे रही थी, नौकरी नहीं मिल रही थी।कहीं भाग जाना चाहता था वो। जब भी हमें कभी लगे