विभावरी के निर्जीव देह को उसका पांच वर्षीय बेटा हिलाते हुए कह रहा था कि मम्मी उठो न,मुझे भूख लगी है, दूध-ब्रेड दे दो।देखो,कितने सारे लोग आए हैं और आप सो रही हो।फिर पिता का कंधा हिलाकर पूछता है कि मां जमीन पर क्यों सो रही है, दादी,नानी रो क्यों रही है।पड़ोसी-रिश्तेदार सभी की आँखे नम हैं।नमन फ़टी आंखों से बस विभावरी को देखे जा रहा है, आंखों के अश्रुओं ने भी धोखा दे दिया है, दोस्त झंझोड़ कर कह रहा है, "उठ नमन, अब भाभी को विदा करने का समय हो गया है।" कल तक हंसती,बोलती,मुस्कराती, गुनगुनाती ,भविष्य