आंख खुली तो मैं चारपाई पर लेटा हुआ था। और मेरे चारों तरफ परिवार वाले मुझे घेर कर बैठे हुए थे, बाई तरफ चारपाई पर दादी बैठी सिर पर हाथ फेर रही थी, चारपाई के पास ही बाई तरफ कुर्सी पर बाबा बैठे हुए राम राम का जाप कर रहे थे, अम्मा पैरों के पास बैठी थी, बाबूजी कुर्सी पर दाई ओर थे मैंने आंख खुलते ही कहा "मैं कूदा नही था?" बाबू जी ने सजल नेत्रों से कहा - कितना तो मना किया था पर तुम कूद ही गए...याद है मुझे अभी कल ही शाम को बाबूजी दफ्तर से