छुट-पुट अफसाने - 42

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एपिसोड--- 42 ‌ यात्राओं का सिलसिला तो खत्म होने का नहीं हम घुमक्कड़ों का। और यादें ! अलग-अलग झरोखों से झांकती हुई अतीत के द्वार खटखटाने लगती हैं। जिस धरातल पर यह घटी होती हैं उससे जुड़ी रहती हैं। इनकी प्रविष्टि पर हमारा पूर्ण स्वायत्त अधिकार होता है। फिर चाहे वह मधुर हों या भयावह ! इनमें हम आकंठ डूब सकते हैं फिर चाहे हम आनंदित हों या दुखी हों ! संतुष्ट हों या दर्द में डूब जाएं। यह उन बातों पर निर्भर करता है ।कुछ ऐसी ही बातें सुनाती हूं ... पहलगाम में कुछ न कुछ होता ही रहता