भारतीय पुरुषों की एक ख़ास बात है कि सौंदर्य-दर्शन होते ही, इन्हें शक्ति प्रदर्शन करने की सनक चढ़ जाती है। कोई सुंदरी सामने दिखी नहीं कि बदन की बेचैनी बढ़ने लगती है। अर्जुन जहाँ बैठा था वहाँ अच्छा था। ठीक है, पुट्ठे में तकलीफ़ थी तो थोड़ी सह लेता। अब जो यहाँ आकर खड़े हैं तो क्या मज़ा आ रहा है। अभी चार-पाँच घंटों का सफ़र है, ऐसे खड़े-खड़े कहाँ तक जाएंगे। लेकिन भईया ये लड़की का चक्कर जो ना कराये। देखें क्या होता है अभी आगे-आगे। अर्जुन ने यहीं से खड़े-खड़े मीनाक्षी को देखा, फिर सिर को थोड़ा ऊपर की