सफ़रनामा: यादों का एक सुनहरा दौर - भाग १

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प्रेम की पराकाष्ठासर्दियां शुरू हो चुकी थी, रात जल्दी होती जा रही थी। आफिस का अपना सारा काम निपटाकर आदिल घर आ पहुंचा था और अपना डिनर भी खत्म कर अपने रूम में भी पहुंच गया था। रात के करीबन १० बजे का वक़्त हो चला था। उसने अपना फ़ोन चार्जिंग से निकाला जो पहले से ही चार्जिंग पर पड़ा था। "आज रात मैं तुम्हे जल्दी नही सोने दूंगा।" अपना फ़ोन अनलॉक कर, फेसबुक और व्हाट्सएप्प के ज़माने में उसने टेक्स्ट मैसेज टाइप किया और भेज दिया।"क्यो?" एक बेहद ही छोटा सा मगर सीधा सवाल मैसेज के रूपमें अगले ही पल