कर्ण पिशाचिनी - 10

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भाग - 5विवेक की मां भगवान की मूर्ति के सामने से उठ ही नहीं रही हैं । केवल गुरु महाराज शांत व स्थिर हैं ।अंत में सभी को आश्चर्य करते हुए रात में लगभग साढ़े तीन बजे ममता के पिता जी का फोन आया । वो सभी तथा कुछ रिश्तेदार आधे घंटे में ही विवेक के घर पर आ रहे हैं । यहीं से सभी एक साथ गुरु महाराज के घर जाएंगे । अचानक ही सभी मानो जीवित हो उठे । तय हुआ कि विवेक के माता- पिता