चन्द्र-प्रभा--भाग(१०)

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भालचन्द्र, शेषनाग और शेषरानी सहित मंदिर के बाहर आया,सब शेषनाग और शेषरानी को देखकर आश्चर्यचकित और प्रसन्न भी थे,सबने शेषरानी,शेषनाग को प्रणाम किया।। तभी विभूतिनाथ जी बोले,अब हमें और भी सावधानी बरतनी होगी क्योंकि अम्बालिका को ज्ञात हो गया कि हमारे साथ शेषनाग जी है तो वो अवश्य हमारे मार्ग मे विघ्न डालने का प्रयास करेंगी और जब तक हम अपने गन्तव्य तक ना पहुँच जाएं,तब तक हमें अपने पग फूँक फूँककर रखनें होंगे।। आप बिल्कुल सही कह रहें हैं, शेषनाग बोले।। आपकी ये समस्या हम वेष बदल कर हल कर देते हैं, शेषरानी बोली।। शेषनाग और