चन्द्र-प्रभा--भाग(९)

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रात्रि का समय__ विभूतिनाथ जी की झोपड़ी के निकट सबके मध्य विचार-विमर्श चल ही रहा था कि वैद्यनाथ बोले__ मुझे याद आता हैं कि यहीं किसी स्थान पर शंकर जी का मंदिर हैं, महाराज प्रायः केवल मेरें साथ उस स्थान पर शेषनाग जी के दर्शन करने जाया करते थे,एक बार महाराज ने सावन के महीने में उस मंदिर के भीतर समाधि लगाई थीं, तब उन्होंने कहा था कि शेषनाग और शेषरानी ने उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर उन्हें दर्शन दिए और वरदान माँगने को कहा।। तब महाराज अपारशक्ति बोले___ मैनें आपकी भक्ति किसी वरदान के लिए नहीं