चूँ चूँ का मुरब्बा - 2

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भाग 2 पिछले भाग में आपने पढ़ा कि रूबी ने स्वयं आगे बढ़ कर रोमित से दोस्ती की और उसे समाचार पत्र में अपनी रचनाएँ भेजने के लिए प्रोत्साहित किया . अब आगे पढ़िए रोमित कैसे रूबी के बताये रास्ते पर आगे बढ़ा ..... कहानी - चूँ चूँ का मुरब्बा “ मेरे पापा के अच्छे कॉन्टेक्ट्स हैं , आपका काम हो जायेगा . “ “ जब तक अति आवश्यक न हो मैं किसी का एहसान नहीं लेना चाहता हूँ . “ “ आप मेरे घर का पता जानते हैं न , मान लें कोई आपसे मेरे घर