कैसा ये इश्क़ है.... - (भाग 57)

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शान को चैन से सोया जान अर्पिता उठने की कोशिश करती है तो शान बड़बड़ाते हुए कहते है, "जाना नही अप्पू" अर्पिता वहीं बैठी रह जाती है।सर्दी बढ़ती जा रही है ये देख अर्पिता अपनी शॉल को फैला कर शान के ऊपर डाल देती है और खुद अपना सर पीछे टिका कर शान को निहारती रहती है।जब प्रेम पवित्र होता है तो कोई भी कुविचार प्रेमियो के मन में नही आते,वो तो बस एक झलक देखने में ही खुद को भूल जाते है तो भला कुछ सोचने समझने का विचार कहां से आता।शान और अर्पिता एकांत में साथ होकर भी