मोतीमहल--भाग(३)

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बहुत सालों पहले एक जमींदार हुआ करते थे जिनका नाम गजेन्द्रप्रताप सिंह था,कई गाँवों की जमींदारी उनके हाथ में थीं,वो बहुत ही अय्याश किस्म के इंसान थें,उनकी पत्नी बहुत ही नेकदिल और भक्तिभाव रखने वाली महिला थीं,वो अपने पति और बच्चों से बहुत प्यार करतीं थीं,खूब बड़ी जमींदारी थी तो रूपए पैसे की कोई कमी ना थी,खूब अनाप शनाप पैसा था गजेन्द्र प्रताप सिंह के पास,कुछ तो उसने गाँव के लोगों से दुगना लगान वसूल करके कमाया था।। गजेन्द्र प्रताप की पत्नी सावित्री बहुत मना करती उसे लेकिन उसे तो दूसरों को कष्ट पहुँचाकर बहुत मजा आता था,लेकिन सावित्री