स्वयम्की ( व्यंग्य ) आप सोच रहे होंगे मुझे ‘‘स्वयम् की’’ लिखना चाहिये था। लेकिन नहीं सहाब मैं ‘‘स्वयम्की’’ ही लिखना चाहता था और वही लिखा है। अब आजकल जमाना बदल रहा है। हमारी हिन्दी कम्प्यूटर और मोबाईल के इस दौर में नवीन शब्दावली के विकास में पीछे छूटती जा रही है। अतः आप को मैं कहुॅं कि ‘‘क्या संयत्र’’ पर मैंने आप को संदेश भेजा था तो शायद आप समझ ही न सकें, जब तक मैं आपको हिन्दी शब्द ‘‘क्या संयत्र’’ के मायने अंग्रेजी में वाट्सएप न बता