मोतीमहल--भाग(१)

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आधी रात का समय .... सुनसान स्टेशन,खाली प्लेटफार्म, अमावस्या की रात,चारों ओर केवल अँधेरा ही अँधेरा, आ रही तो बस केवल आवारा कुत्तों के भौंकने की आवाज,प्लेटफार्म पर कहीं कहीं लैम्पपोस्ट लगे जिनसे बिलकुल फीकी और पीली रोशनी आ रही है,रोशनी इतनी हल्की है कि किसी का भी चेहरा देख पाना मुश्किल है।। तभी स्टेशन के प्लेटफार्म पर रेलगाड़ी रूकी,रेलगाड़ी से एक आदमीं हैट लगाएं ,ओवरकोट पहनें बाहर उतरा,उसके पास उसका सूटकेस और एक बिस्तरबंद था,उसनें यहाँ वहाँ नज़रें दौड़ाईं लेकिन उसे कोई भी कुली ना दिखा जो उसका समान उठा सकें,स्टेशन एकदम सुनसान था,एक भी इंसान वहाँ नहीं