??????????????????? सालों से देख रहे थे हम सब, वो उस पलाश के पेड़ के नीचे ही रहती आ रही थी। चाहे जैसा भी मौसम हो वो वंही रहती, बहुत बार म्युनिसिपल वालों ने उसे वँहा से भगाया पर वो फिर लौट के आ जाती। उसी पलाश के पेड़ के तने के सहारे उसने पुरानी पन्नियों और बोरियों से अपने रहने का ठिकाना बना लिया था। वो कंही भी नही जाती और न ही किसी से कुछ बात करती और न ही किसी को परेशान, मुहल्ले वाले ही तरस खा कर उसे खाने पीने का सामान दे दिया करते थे। वो