जेसे भी हैं, आख़िर तेरे ही बच्चे हैं!!

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चलो, आज एक बात करते हैं कोरोना के बाद के युग की। रो - रोक आज बात करते हैं ईस कोरोना के कपरे समय में हमारे देश के मजदूर की। सब कुछ बदला......क्यूकी ये समय कहाँ है अटका!! कोरोना के आने के बाद पूरी दुनिया बदल गई, मगर भारत का मजदूर कोरोना के पहले हो या उसके बाद, 'लाचार का लाचार!', 'बेचारा का बेचारा!', 'गरिब का गरिब!' ओर 'मजबूर का मजबूर!'....हा मगर कहि ना कहि कोरोना के पहले मजदूरो के पास कुछ रोजी तो थी ओर रोजी थी तो माथे पे छत थी, जीने के लिए उम्मिद थी, खाने के