इंसानियत - एक धर्म - 47

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तड़पते हुए कर्नल साहब अचानक फर्श पर गिर पड़े । उन्हें संभालने की कोशिश में नंदिनी भी फर्श पर लुढ़क पड़ी थी । अपनी भरपूर कोशिश के बावजूद वह कर्नल साहब के भारी भरकम शरीर को नहीं संभाल सकी थी । अलबत्ता उसके प्रयासों की वजह से कर्नल साहब का सिर बड़े धीमे से फर्श से टकराया था । फर्श पर जल बिन मछली की भांति तड़पते कर्नल साहब को देखकर नंदिनी तड़प उठी । उठी और दौड़ते हुए हॉल में रखे फोन पर झपट पड़ी । जल्दी जल्दी नंबर डायल किया और फोन पर ही सुबक पड़ी ” हैल्लो