इंसानियत - एक धर्म - 44

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बिरजू और परी को बंगले के अंदर जाते हुए नंदिनी कुछ देर खड़ी देखती रही । मुनीर के दिमाग में विचारों के अंधड़ चल रहे थे । ‘ नंदिनी उससे क्या बात करना चाहती है ? जाने कैसा व्यवहार करेगी ? ‘ उसे ज्यादा सोचने का वक्त भी नहीं मिला । नंदिनी का बदला हुआ व्यवहार उसे हैरान करने के लिए काफी था । जहां अभी कुछ देर पहले उसके चेहरे पर खामोशी में भी एक दृढ़ता नजर आ रही थी अब उसके चेहरे पर कृतज्ञता के भाव नृत्य कर रहे थे ।” परी ने आपको ज्यादा परेशान तो नहीं