मे और महाराज - ( एक परीक्षा_3) 16

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बस ये वही पल था, जब एक एक राज खुलने की शुरुवात हुई। आधे घंटे से उस कक्ष मे बैठी तीनो औरते नियम लिखे जा रही थी। क्योंकि सिराज सामने बैठ कर ये लिखावट करवा रहा था, तो मौली समायरा की कोई मदद नहीं कर पाई। समायरा दो शब्द लिखती फिर मासूम सी नजर मौली की तरफ डालती और एक गुस्सैल नजर से सिराज को देखती। " वीर जाकर उनसे पत्र ले लो।" सिराज ने हुक्म दिया। उसके भाई ने गौर बाई और चांदनी से पत्र ले कर सिराज को सौंपे। किसी को ना दिखे उस तरह सिराज ने रात को