साजिश 1 नितिन पसीना पसीना होते हुए नींद से जाग गया। बहुत डरावना सपना था, लग रहा था कि कोई उसका गला पकड़ना चाहता था। सर्दियों का मौसम था। रात्रि का सन्नाटा अपने जोरों पर था। चारों ओर नीरवता फैली हुई थी कि सुई गिरने की आहट भी आसानी से सुनाई पड़ सकती थी। रात्रि का दूसरा पहर शुरू हो चुका था। नितिन अग्रवाल की कोठी अँधेरे में नहाई हुई थी। जहाँ-तहाँ नाइट बल्ब अपना मद्धिम प्रकाश फैला रहे थे। दो चौकीदार अपनी ड्यूटी पर तैनात थे। कोठी के सभी सदस्य नितिन के पापा मम्मी और उसकी