दानी की कहानी(मूल से प्यारा ब्याज़ ) -------------------------------- समय के गुजरने के साथ दानी हमें तो और भी सचेत लगती हैं मम्मी कहती हैं हमने अपनी दादी-नानी को देखा ,इतनी उम्र में वो बिस्तर में माला लिए बैठी रहती थीं ,जो खाना मिल गया ,वो चुपके से खा लिया और ये तुम्हारी दानी हर समय रसोईघर के चक्कर मारती रहती हैं आज भी ज़बान चटकारे मारती है इनकी --! पता ही नहीं चलता --मम्मी इनसे क्यों नाराज़ रहती हैं दानी सबको अच्छी बातें सिखाती हैं ,सब बच्चों से एक्स व्यवहार करती