(22)निर्भय अपने कमरे की खिड़की से समुद्र की बहती हुई लहरों को देख रहा था। अभी उसे खबर मिली थी कि अंजन उसकी और मानवी की तलाश करते हुए लंदन पहुंँच गया है। जैसे समुद्र की लहरें किनारे पर आकर टकरा रही थीं वैसे ही उसके मन में यादों की लहरें शोर मचा रही थीं।उसके पैर में गोली लगी थी। बहुत दूर तक भाग सकना संभव नहीं था। घायल मानवी का भी यही हाल था। अंजन का भेजा हुआ आदमी यमदूत की तरह उन दोनों के पीछे लगा हुआ था। उसके हाथों मौत पक्की थी। भागते हुए निर्भय ने