शोलागढ़ @ 34 किलोमीटर - अंतिम भाग

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 खुदकुशी “वक्त बर्बाद मत करो। इसे ठिकाने लगाओ और बाहर जाकर शूटिंग कंपलीट करो।” आने वाले ने तेज आवाज में कहा। “कैप्टन किशन!” उसकी आवाज सुनकर इंस्पेक्टर सोहराब बुदबुदाया। “लेकिन यह पिस्तौल तो फिल्मी है।” शैलेष जी अलंकार ने विदूषकों की तरह हंसते हुए कहा। “बेवकूफ... बाहर जाओ और इसकी लाश उठाने के लिए आदमी भेजो।” कैप्टन किशन ने चिंघाड़ते हुए कहा। कैप्टन किशन चंद कदम चलते हुए अंदर आ गया। अब वह सोहराब और सलीम को साफ नजर आ रहा था। “सॉरी बेबी! मैं तुम्हारी हीरोइन बनने की आखिरी इच्छा पूरी नहीं कर सका।” उसने अपनी कोट की