सरहद - 4

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4 संयोग से उस दोपहर ताऊ घर में ही थे, उन्हें जड़ी बूटियों की पहचान थी। गिलोय के डंठल को कूट कर उसमें मिश्री मिला कर छोटी के सूखे हांठों पर टपकाते रहे जब तक माँ आई थी। उसका बुखार हल्का हो गया था। ताई ने माँ को खूब खरी-खोटी कही। मुझे भी हड़काती रही। तेरी पाठषाला बड़ी है या छोटी बहन? फिर ताई ने समझाया था चेतावनी देकर- तेरे अक्षर ज्ञान से किसका भला होने से ठहरा छोरी? एक नन्ही सी जान को मौत के मुंह मे डाल कर तू क्या हासिल कर सकेगी बोल! गांव भर में एक