सुबह की किरण लाजवाब थी आंखों में गजब से चमक थी चांद सितारों को पीछे छोड़कर सूरज की किरणों से आगे भाग रही थी जिंदगी. नए से खयालात नए से जज्बत लेकर अपना बिस्तर छोड़ चुका था. नया मुकाम हासिल करने की ख्वाहिश में एक नया सा मंजर खड़ा करने जा रहा था. कितनी भी मुश्किलें आए कितनी भी नकारात्मक सोच है उसको सब को एक लात मार कर आगे बढ़ रहा था. लोगों की बोलियों को पीछे छोड़ कर अपने से खयालात अपनी हंसी वाली मुस्कुराहट आईने में देखकर कुछ नया मंजर कुछ नहीं जिंदगी