कर्ण पिशाचिनी - 2

(21)
  • 36.3k
  • 2
  • 22.6k

भाग - 2विजयकांत को जब होश आया तब उसने देखा कि वो एक घर के आँगन में लेटा हुआ है । चारों तरफ बहुत सारे जिज्ञासु चेहरे उसे ही देख रहे थे । विजयकांत को होश आते ही वह लोग आपस में बात करने लगे । " पंडित जी होश आ गया । " इसके बाद जो बूढ़ा ब्राह्मण पास आकर उसके नाड़ी को जांच करने लगे , उन्हें देखकर विजयकांत आश्चर्य में पड़ गया । क्योंकि यही वो आदमी है जिसके घर विजयकांत आ रहा था