लेखक नामक प्रजाति के सदस्य अक्सर अकादमियों और मंत्रालय के अधिकारियों को कोसते रहते हैं। ये उनकी स्पष्ट राय है कि ये अधिकारी लेखकों को उनके जीते-जी सम्मान नहीं देते हैं। ये अधिकारी इंतजार करते रहते हैं कि लेखक कब परलोक गमन कर इज्जत पाने लायक बने कि वो उनके सम्मान में कोई बड़ा कार्यक्रम कर सकें जो उनकी धन की छोटी-छोटी आवश्यकताओं को पुरा कराने हुते अवसर प्रदान कर सके! वो क्या है कि अधिकारी भी लेखक का सम्मान करते हुए परम्पराओं पुरा निर्वहन करना चाहते हैं। हालाँकि और भी कई कारण हैं जिन्हें या लेखक समझ सकता