चोलबे ना - 8 - गाली ही आशीर्वाद है

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मुझे भाषण देने की आदत जो है कि लोग देखा नहीं कि बस उड़ेलना शुरू कर देता हूँ। बस कुछ दोस्त मिल गये तो मैं लग गया झाड़ने। खैर झाड़ते वक्त ये देख लेता हूँ कि सामने कौन है। खैर दोस्तों को भाषण पान करा रहा था (वैसे घर पर तो घरवीर बनने में यकीन रखता हूँ। अपना-अपना किस्सा है।) कि चच्चा जाने कहाँ से अवतरित हो गये? शायद थोड़ी देर मेरे महाज्ञान को सुना होगा फिर कान पकड़कर बोले -“मतलब कर दिये ना नाजियों वाली बात। अरे भाई उन लोगों ने पुरस्कार लौटाने की घोषणा कर दी इसका मतलब