सत्य मोहे न सोहते ( व्यंग्य )

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सत्य मोहे न सोहते ( व्यंग्य ) बचपन से एक ही पाठ पढ़ा है ‘‘सत्य बोलो’’ क्योंकि ‘‘सत्यमेव जयते।’’ सत्य की विजय को लेकर अनेकों काल्पनिक कहानिया‌ॅ बचपन से केवल इसलिए सुनाई गई है कि हम सत्य बोलते रहे । अब तक हम में से कुछ लोग अपने आपको सत्यवादी साबित करने के प्रयास में अनेकों बार अपने काम बिगाड़ चुके है। अब हमारा सत्य इतना खोखला है कि हम मोबाइल पर अभी कहाॅ है यह भी सत्य नहीं बोल सकते । मोबाइल पर पत्नी के लिए बाज़ार में होना , आफिसर के लिए