प्रायश्चित - भाग-12

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"दो दो जिंदगियां बर्बाद कर अब इतने भोले मत बनो, दिनेश बाबू!" कुमार उसकी ओर देखता हुआ व्यंग्य से बोला। "आपकी पत्नी भले ही आपको माफ कर दे लेकिन मैं नहीं करूंगा। मैं पुलिस थाने जा रहा हूं, आपको आपके किए की सजा दिलवाने।" जैसे ही वह बाहर जाने लगा, किरण ने उसके पैर पकड़ लिए और बोली "रुक जाइए। मैं इस सबकी कसूरवार हूं।सजा मुझे दीजिए। इनका कोई कसूर नहीं है।" "वाह क्या आशिकी है।‌ इतना प्रेम कभी तूने हमसे नहीं किया छिनाल !!!! इतना दिल लगा बैठी इससे कि उसके किए का इल्जाम भी अपने सिर ले रही