लाइफ आजकल- आलोक कुमार

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कहते हैं कि किसी भी चीज़ के होने ना होने का पहले से तय एक मुक़र्रर वक्त होता है। किताबों के संदर्भ में भी यही बात लागू होती है। कुछ किताबों को पढ़ने की इच्छा से आप मँगवा तो लेते हैं मगर उन्हें पढ़ने का जाने अनजाने में मुहूर्त नहीं निकल पाता। कई बार हम एक साथ इतनी किताबें मँगवा लेते हैं कि कुछ किताबें हमारी आँखों के सामने होते हुए भी हमें नज़र नहीं आती या अगर कभी भूल से नज़र आ भी जाती हैं तो हम अन्य किताबों को पहले तरजीह देते हुए किसी अन्य किताब की तरफ