#तलाश भाग -4 (गतांक से आगे) उसके पास कोई साझेदार भी नही था जिसे वह अपने मन की बात बता सके, या अपनी उपेक्षा को साझा कर सके,कई बार उसका मन होता कि वह अपनी समस्या शमित और मां की उपेक्षा के बारे में सुजाता दी से बात करे, पर हिम्मत नही कर पाती, उसे लगता अगर ये बात इधर उधर हो गई तो लोग क्या कहेगें ... शमित और मां तक ये बात चली गई तो? असल प्रश्न लोग क्या कहेगें पर आकर अटक जाती, सुजाता चाहती थी कि कविता अपने मन की किताब स्वयं खोले..फिर