गोलू--मुन्ना (दानी की कहानी ) --------------------------- दानी की अम्मा जी भी एक स्कूल की प्रधानाचार्य थीं पूरा पढ़ाकू माहौल ! अब भला बच्चों की तो ऐसी-तैसी होगी ही न ऐसे में कितनी उम्मीदें पालने लगते हैं ऐसे परिवार के बच्चों से लोग ! ठीक है ,ज़रूरी थोड़े ही है परिवार में सारे ही पढ़ाकू हों-- आठ साल के गोलू ने कहा जब दानी अपने ज़माने की ,अपने परिवार की बातें सुनातीं नन्हा गोलू भुनभुन करता पर,आप हर समय ये ही कहानी सुनाती रहती हैं -- अच्छी बात तो है ,हम सबको यह बात समझनी चाहिए न --- मुन्ना बड़ा