एपीसोड - 3 उन महाराज ने अपने सपनों का नगर कुछ इस तरह बसाया कि आज तक उनकी रोपीं अच्छाइयां इस शहर में झलकतीं हैं। कभी ये राज्य ७००० गरीब हिन्दुओं को, ३००० मुसलमानों को प्रतिदिन भोजन करवाता था। वही परंपरा इन्होंने आरम्भ करवाई। शहर के बग़ीचे में सुबह उसके केंद्र में बने बेंड स्टैंड पर शहनाई वादन के साथ होती थी जिससे सारा अलसाया शहर जागे तो उसे मधुर संगीत से सारे दिन काम करने की ऊर्जा मिले। उन्होंने एक खूबसूरत पैलेसनुमा इमारत `कलाभवन `बनवाई जिसमें संगीत की, नाटक व सांस्कृतिक महफ़िलें सजतीं रहें। जिस अब इंजीनियरिंग कॉलेज में