बुंदेलखंड के लोक-जीवन में समय बोध

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बुंदेलखंड के लोक में समय बोधमनुष्य ने काल के निरवधि विस्तार को अपने बोध की दृष्टि से खंडों में विभाजित कर लिया । आदिम मनुष्य ने भी प्रभात, दोपहर, शाम, रात जैसी परिवर्तित समय स्थितियां देखी होंगी और आरंभ से उसे भले ही अपने सीमित और अनिश्चित कार्य व्यापारों को इनकी सापेक्षता में समझने और कहने की आवश्यकता प्रतीत ना हुई हो परंतु धीरे-धीरे समय का आयाम उसके जीवन के साथ जुड़ता गया। तब उसे समय के बदलते हुए रूपों और लघु खंडों को अपनी अभिव्यक्ति की क्षमता और साधन के अनुसार शब्द देने पड़े होंगे। तब दिन और रात