होली??

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स्नेही मित्रों ! स्नेहमय सुभोर के साथ इस महत्वपूर्ण पर्व की अशेष शुभकामनाएं | पर्व संदेश देता है अपने अहं की वेदी में ईर्ष्या-द्वेष की लकड़ियाँ जला लें | हमारी प्रिय सखी मंजु महिमा ने इस अग्नि-दहन का जो शब्द-चित्र खींचा है ,वह बहुत कुछ सोचने को विवश करता है ,वह चेतावनी देता है अपने मन में झाँकने की ,चिंतन की धरा को सींचने की जिसमें से नव-पल्ल्वित कोंपलें झाँकती तो हैं किन्तु यह विचारणीय है कि कहीं उस धरा पर हम काँटों की खेती तो नहीं कर रहे ? मंजु की यह रचना अवश्य ही कहीं न कहीं आपकी