बैंगन - 36

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इस बार मैं जब भाई के घर से वापस अपने घर जाने लगा तो वही सब शुरू हो गया। भाभी ने घर के लिए खुद बना कर तरह- तरह की खाने की चीज़ें तो रखी ही, बच्चों और अम्मा के लिए बाज़ार से खरीद कर महंगे उपहार भी दिए। मेरी पत्नी के लिए एक सुंदर सी साड़ी भी लाकर रखी थी जो मुझे दिखाते हुए भाभी ने मेरे सामान में रखी। साड़ी रखते- रखते भाभी मज़ाक करना नहीं भूलीं। परिहास से बोलीं- ये मेरी देवरानी को देने की याद रखना, ऐसा न हो कहीं ऐसे ही पैक हुई रखी -