बैंगन - 32

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हम लोग भाई के बंगले की बड़ी छत से पतंग उड़ा रहे थे। भतीजा तो ग़ज़ब जोश में था क्योंकि सुबह से लगभग एक दर्जन पेंच काट कर उसने अपने हिस्से के आकाश में अपना एकछत्र सम्राज्य स्थापित कर लिया था। आसपास से आकर जमा हुए जमघट के बीच मैं और भाभी भी मानो बच्चे ही बन गए थे। भाभी की रसोई से निकल कर तरह- तरह के पकवान आते ही जा रहे थे। भाई के शो रूम के दो- तीन नौकर भी इस मुहिम में हमारे साथ ही आ जुटे थे। पकौड़ों की गरमा- गरम भाप उड़ाती प्लेट छत