बैंगन - 31

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इम्तियाज़ के तीन लड़के नज़दीक के एक बड़े शहर में पढ़ते थे। छोटे दोनों का मन तो सचमुच पढ़ने में लगता था पर बड़ा केवल उन्हें संभालने और माता - पिता की नज़र से ज़रा आज़ादी हासिल करने की गरज से ही वहां था। तो इम्तियाज़ ने जिस खबर के नाम पर मेरा मुंह मीठा करवाया था वो भी कोई कम दिलचस्प नहीं थी। दरअसल इम्तियाज़ के बेटे ने एक घोड़ा ख़रीदा था। मिठाई तो मैंने ज़रूर उदरस्थ कर ली थी लेकिन मुझे ये नहीं पता चल सका था कि उस तेज़ी से बढ़ते- फैलते महानगर में इम्तियाज़ के साहबज़ादे