--उपन्यास भाग—चौदह अन्गयारी आँधी—१४ --आर. एन. सुनगरया, स्वरूपा भलि-भॉंती अवगत है, किसी खेल में खिलाड़ी का अकुशल, अनाड़ी, आधा-अधूरा ज्ञान, अपरिपक्वता होने के परिणाम स्वरूप खेल का कबाड़ा- काम- बिगाड़ा,