प्रथम अध्याय----------------- लाल जोड़े में सजी रेवती हाथों में जयमाल लेकर जब स्टेज पर आई तो बाराती-घराती उसके अप्सरा जैसे रूप को देखकर दूल्हे के भाग्य की सराहना करने लगे।शर्म से झुकी रेवती की पलकें जब जयमाल डालने के लिए ऊपर उठीं तो दूल्हे मनोहर को देखकर हक्की-बक्की रह गई, उसके हाथ जहां के तहां रुक गए।बगल में खड़ी बड़ी बहन तथा भाभी उसके सफेद पड़े चेहरे को देखकर सारा माजरा समझ गईं।रेवती कोई गलती न कर दे,इस डर से झट मजाक करते हुए उसका हाथ थामकर वर के गले में जयमाल डलवा दिया।धीमें स्वर में दीदी की