फाँसी के बाद - 12

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(12) रात के तीन बज रहे थे । ठंड अपने पूरे यौवन पर थी । सड़कें सुनसान थीं । गहरा कुहरा पड़ने के कारण अब ट्रक भी नहीं चल रहे थे । पुलिस के वह सिपाही जो रात में गश्त करते थे उनका भी कहीं पता नहीं था । कदाचित वह भी कहीं दबके पड़े थे – मगर ऐसे में भी एक मोटर साइकल सड़क पर दौड़ रही थी । एक आदमी चला रहा था और दो आदमी पीछे बैठे हुए थे । गति काफ़ी सुस्त थी । तेज हो भी नहीं सकती थी इसलिये कि एक तो गहरा कुहरा