दोपहर को हम लोग काफ़ी देर बाज़ार में चहल कदमी कर लेने के बाद कोई ऐसी जगह तलाश कर रहे थे जहां आराम से बैठकर खाना खा सकें। प्रायः किसी नई जगह जाने पर "अच्छी" जगह होने का पैमाना यही होता है कि जहां ज़्यादा लोग भोजन कर रहे हों वहां खाना बढ़िया ही होगा। हालांकि हमेशा ऐसा नहीं होता, कई बार सस्ता खाना मिलने से भी भीड़ लग जाती है। किसी किसी शानदार सी जगह पर लज़ीज़ खाना होने पर भी कम लोग जाते हैं क्योंकि वो जगह महंगी होती है। टूरिस्ट प्लेस पर तो ऐसा अक्सर होता है।