"हवा में उड़ता जाए मेरा लाल दुप्पटा मल मल का"जब तक मे रात को 9 बजे घर पहुंचा बच्चे सो चुके थे। देव मेरा 5 साल का लड़का जो आइंस्टाइन की तरह सोचता है और पिंकी मेरी 7 साल की बेटी जो मेरी हर काम मे साथ देती है। सुरभि टी वी पर अपने पसंदीदा धारावाहिक देख रही थी। मुझे देखकर ज्यादा नाराज नही थी वो जानती थी कि मेरा जॉब केसा है। "ऐसा मत बोलो मैंने बच्चों को समझा दिया था कि पापा की विशेष कार्य पर व्यस्त है। बच्चे मान भी गए थे।लेकिन तुम उदास लग रहे हो।