अगले दिन सुबह 10:00 बजे के आसपास सुदर्शन यादव दो कांस्टेबल के साथ उपस्थित हुए I तब तक इंस्पेक्टर जयदीप तैयार हो गए थे I दोनों कांस्टेबल के चेहरे को देखकर जयदीप समझ गए कि इनमें से किसी का भी मन उस जंगल में जाने का नहीं है शायद जोर-जबर्दस्ती से यादव जी ने उनको राजी किया है I जयदीप को देखते ही यादव ने एक सलामी देकर मुस्कुरा कर बोले - " नमस्कार सर , आपने जैसा कहा था हम आ गए अब जितनी जल्दी हो उस जंगल से सर्च करके चले आते तो अच्छा होता I " जयदीप