कशमकश

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भाग 1कितनी तेज़ चल रहीं थीं धड़कनें । दिल में बहुत ज़्यादा हलचल थी। “ क्या मैं यह सब कर सकूंगी? कहीं खुद पर काबू न खो दूँगी?” सोचते हुए वन्या दरवाज़े से जैसे ही अंदर दाखिल हुई, पास ही खड़ी एक लड़की उसे मिसेज़ सिंह के पास ले गयी। आँखें नीची किये शांत बैठीं मिसेज़ सिंह पलकें उठा कर बोलीं “वन्या! वन्या ही हो न आप पुत्तर?” “जी आंटी जी “ वन्या आगे कुछ न कह सकी,कुछ पल भरी आँखों से वो वन्या निहारतीं रहीं। “ विक्रम ने दिखाई हुई तस्वीर से कहीं ज़्यादा खूबसूरत हो।” फिर उन्होंने वन्या का चेहरा