ज़्यादातर कहानियों के प्लॉट..किस्से या किरदार हमारे ही आसपास के माहौल में..हमारे ही इर्दगिर्द जाने कब से बिखरे पड़े होते हैं मगर हमें उनका पता तक नहीं चलता। उन्हें तब तक अहमियत नहीं मिलती जब तक वो कहानी..किस्सा या किरदार किसी लेखक की कल्पना के ज़रिए, उसकी किसी रचना में साकार रूप प्राप्त नहीं कर लेता। ऐसी ही कुछ कहानियों..कुछ घटनाओं और कुछ किरदारों को एक माला में पिरोया है 'मुकेश गाते' ने अपने पहले कहानी संग्रह "ठरकी" के ज़रिए। इस संकलन की किसी कहानी में दसवीं पढ़ रही घर की इकलौती वारिस, अपने जन्मदिन के दिन ही, एक रोड एक्सीडेंट