हाशिया घंटी की आवाज सुनकर मनीषा ने दरवाजा खोला… ‘ अरे, तुम लोग...कब आये, कहाँ रूके हो....? बहुत दिनों से कोई समाचार भी नहीं मिला ।’ सामने महेश और नीता को देखकर मनीषा आश्चर्यचकित रह गई तथा मुँह से अनायास ही निकल पड़ा । ‘दीदी, काफी दिनों से आपसे मिली नहीं थी । इन्हें दिल्ली एक सेमिनार में जाना है । आपसे मिलने की चाह लिये मैं भी इनके साथ चली आई...। ब्रेक जरनी की है, शाम को छह