मे और महाराज - ( जासूसी _ १) 11

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" आ............ तुम ?????" " हा हम। जिनकी आप अभी अभी तारीफ कर रही थी।" अपने हर शब्द के साथ वो उसके करीब और करीब आ रहा था। राजकुमार के डर के मारे समायरा पीछे होती गई। वो इतनी पीछे हो गई थी की लगभग अपनी जख्मी पीठ के बल लेट गई और सिराज उसके ऊपर था।" आ ह......." समायरा " ये क्या कर रहे हो ? पीछे हटो मुझे चोट लगी है।" " हम क्यों पीछे हटे ? हम तो वो है ना जिन्हे किसी की भावनाओं की फिक्र नहीं । अगर किसे से मतलब है तो उनके जिस्म से है।