विश्वासघात--भाग(६)

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शाम का समय था___ क्यों रे प्रदीप ! मंदिर चलेगा,संदीप ने पूछा।। ना भइया! मै सोच रहा हूँ कि खाना बनाने के बाद पढ़ने बैठ जाऊँ, इम्तिहान आने वाले हैं, आप का मन है तो आप चले जाओ,प्रदीप बोला।। अच्छा, ठीक है तो मैं हो आता हूँ मंदिर,ऐसा कहकर संदीप मंदिर चला आया ,उसने भगवान के दर्शन किए प्रसाद लिया और मंदिर के बाहर आया , देखा तो वहाँ कुछ चिल्लमचिल्ली मचीं हुई है, भीड़ के बीच में घुसकर उसने देखा कि मंदिर के पुरोहित जी एक बूटपाँलिश वाले को जोर से डाँट रहे थे और बूटपाँलिश वाले